तस्वीरों में बारावफात जुलूस: इस्लाम धर्म के संस्थापक की पैदाइश का जश्व, लेकिन आज का दिन शोक का भी,क्या है वजह? – What Is Barawafat Celebration Of The Birth Of Mohammed, The Founder Of Islam, But Today Is Also A Day Of Mour

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वाराणसी में बारावफात का जुलूस निकाला गया। गुरुवार की सुबह मंडुवाडीह चौराहे पर जुलूस के चलते भीड़ देखने को मिली। बारावफात जुलूस को लेकर पुलिस अलर्ट मोड दिखी। बुधवार को अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) एस चनप्पा ने फोर्स के साथ शहर के मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पैदल गश्त की। उन्होंने बताया कि शांति समितियों की बैठकों में पहले ही सभी से अपील की जा चुकी है कि कोई नहीं परंपरा नहीं शुरू करने दी जाएगी। जिले के लोगों से अपील है कि वह आपसी भाईचारे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से त्योहार मनाएं। सोशल मीडिया की निरंतर निगरानी की जा रही है। शांति और कानून व्यवस्था में बाधक बनने का प्रयास करने वालों के साथ पुलिस बेहद सख्ती से पेश आएगी। 

 

 



क्यों निकाला जाता है बारावफात का जुलूस?

ईद-ए-मिलाद के रूप में जाना जाने वाला, मिलाद-उन-नबी पैगम्बर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह उत्सव मुहम्मद के जीवन और उनकी शिक्षाओं की भी याद दिलाता है।


मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। हालाँकि मुहम्मद का जन्मदिन एक खुशहाल अवसर है, लेकिन मिलाद-उन-नबी शोक का भी दिन है। यह इस वजह से क्योंकि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु भी हुई थी। 

 


इस साल, मिलाद-उन-नबी 27 सितंबर की शाम को शुरू हुआ और 28 सितंबर की शाम को समाप्त होगा। ईद मिलाद-उन-नबी 12वें रबी-उल-अव्वल को मनाया जाता है, जो इस्लामी कैलेंडर का तीसरा महीना है। यह दिन शिया और सुन्नी संप्रदायों द्वारा अलग-अलग दिन मनाया जाता है।


सुन्नी विद्वानों ने ईद मिलाद-उन-नबी मनाने के लिए 12वीं रबी-उल-अव्वल को चुना है। जबकि, शिया विद्वान 17वें रबी-अल-अव्वल को उत्सव मनाते हैं। यह दिन इस्लाम धर्म के संस्थापक प्रोफेट मोहम्मद की पैदाइश और उनके इस दुनिया से रुखसत होने का दिन है।


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