16th day of Ramlila of Ramnagar: Indra's son in the form of a crow pecked at the feet of mother Sita

रामनगर की रामलीला:इंद्र पुत्र ने कौआ रूप में सीता मां के पैर में मारी चोंच,खून बहता देख श्री राम ने चलाया बाण – 16th Day Of Ramlila Of Ramnagar: Indra’s Son In The Form Of A Crow Pecked At The Feet Of Mother Sita

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रामनगर की रामलीला
– फोटो : अमर उजाला

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निज कृत कर्म जनित फल पायउं, अब प्रभु पाहि सरन तकि आयउं॥ सुनि कृपाल अति आरत बानी, एकनयन करि तजा भवानी… अर्थात अपने कर्म से उत्पन्न हुआ फल मैंने पा लिया। अब हे प्रभु! मेरी रक्षा कीजिए। मैं आपकी शरण में आ गया हूं। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती! कृपालु श्री रघुनाथजी ने उसकी अत्यंत आर्त्त (दुःख भरी) वाणी सुनकर उसे एक आंख का काना करके छोड़ दिया।

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रामनगर की रामलीला के 16वें दिन शुक्रवार को जयंत नेत्र भंग, अत्रि मुनि मिलन, इंद्र दर्शन, गिद्धराज समागम, पंचवटी निवास जैसी लीलाएं हुईं। भरत के अयोध्या लौटने के बाद धरा को राक्षस विहीन करने के अभियान पर श्रीराम चल पड़ते हैं। इस दौरान इंद्र पुत्र जयंत श्रीराम के बल की परीक्षा लेने के लिए कौआ रूप में सीता जी के पैर में चोंच मारकर घायल कर देते हैं। सीता के पैर से खून बहता देख श्रीराम बाण चलाते हैं। नारद की आज्ञा पर जयंत प्रभु श्रीराम के शरणागत होता है। श्रीराम जयंत की दुख भरी वाणी सुन दंड स्वरूप उसकी एक आंख फोड़ देते हैं। प्रसंगानुसार श्रीराम, लक्ष्मण व सीता अत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचते हैं। प्रातः विदा लेकर आगे बढ़ते ही रास्ते में विराध नामक राक्षस सीता को कब्जे में कर लेता है। श्रीराम बाणों से विराध का वध कर सीता जी को मुक्त करा लेते हैं। रास्ते में गिद्धराज को अपना स्नेह देते हैं और पंचवटी में पर्णकुटी बनाकर विश्राम करते हैं। यहीं पर आरती के साथ लीला को विश्राम दिया जाता है। उधर चिरईगांव के जाल्हूपुर टूड़ीनगर की रामलीला में शुक्रवार को जयंत नेत्र भंग, अत्रि मुनि मिलन, विराध वध आदि लीला का मंचन किया गया। वहीं, दानगंज के नियार की रामलीला में सातवें दिन विश्वामित्र के पूजन होता है। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को मनोरथ सफल होने का आशीर्वाद देते हैं लीला समाप्त होती है।

 

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