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कूडें के ढेर में पड़ी दवाईयां
– फोटो : अमर उजाला
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कानपुर में ग्रामीणों को इलाज के लिए कुछ दूरी पर इलाज मिल सके, इसके लिए प्रदेश सरकार ने उप स्वास्थ्य केंद्रों को आयुष्मान आरोग्य मंदिर का दर्जा दिया था। वर्तमान में इन आरोग्य मंदिरों की चिकित्सा सेवाएं भगवान भरोसे हैं। हर आरोग्य मंदिर में एक सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर), एक एनएनएम, आशा बहू और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की तैनाती की गई थी।
वर्तमान में 305 आरोग्य मंदिरों में से 29 में सीएचओ ही नहीं हैं। लापरवाही इस कदर है कि जीवनरक्षक दवाएं यहां कूड़े के ढेरों में पड़ी रहती हैं। अधिकतर आरोग्य मंदिरों में ताला पड़ा रहता है। अमर उजाला ने कल्याणपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के तहत आने वाले रइकेपुर, डूल और लोधर आरोग्य मंदिरों की पड़ताल की, तो यह सच्चाई सामने आई।
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