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अदालत।
– फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ‘सरकार को उसी तरह कर वसूलना चाहिए, जैसे मधुमक्खी फूल की पंखुड़ियों को छेड़े बिना उससे शहद इकट्ठा करती है’। न्यायमूर्ति शेखर बी.सराफ की कोर्ट ने कुकर के व्यवसाय से जुड़ी हॉकिन्स कंपनी पर लगाए गए टैक्स, जुर्माना और जब्ती के मामले में सुनवाई के दौरान जुर्माने को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।
याचिकाकर्ता हॉकिन्स कंपनी है, जो प्रेशर कुकर के निर्माण और बिक्री से जुड़ी है। याची का मुख्य कार्यालय 83/6, बीएम मार्केट, जूही, कानपुर में है। कारखाना सीडा इंडस्ट्रियल एस्टेट, सतहरिया, जौनपुर में स्थित है। प्रेशर कुकर के निर्माण के लिए कच्चा माल महाराष्ट्र से आना था। इस दौरान 8 ई-वे बिलों में से चार में आपूर्ति का स्थान सतहरिया, जौनपुर स्थित फैक्ट्री बताया गया है।
अन्य 4 ई-वे बिलों में आपूर्ति के स्थान को गलती से कानपुर स्थित कार्यालय बताया गया, जहां कोई विनिर्माण नहीं होता है।कच्चे माल को 31 जनवरी, 2020 को रोका गया था और हिरासत का मेमो 1 फरवरी 2020 को जारी किया गया था और बाद में मूव-06 जारी करके 3 फरवरी, 2020 को माल को जब्त कर लिया गया था।
याची अधिवक्ता शुभम अग्रवाल ने बताया कि ई-वे बिल में आपूर्ति के गलत स्थान का उल्लेख महज एक तकनीकी त्रुटि थी। माल के साथ आए सभी चालान और बिल्टी पर गंतव्य का सही पता यानी जौनपुर अंकित है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा की गई मात्र तकनीकी त्रुटि के परिणामस्वरूप याची पर इतना कठोर जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। कोर्ट ने अर्थशास्त्र में चाणक्य द्वारा कर के संबंध में कही गई बात का भी उल्लेख किया। कोर्ट ने कहा कि इस विशेष मामले में लगाया गया जुर्माना कानून में बिना किसी आधार के है। इसलिए 14 फरवरी 2020 के दंड आदेश और 13 अक्टूबर 2020 की अपील में पारित आदेश रद्द किया जाता है। रिट याचिका स्वीकार की जाती है।
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