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Gyanvapi Survey
– फोटो : अमर उजाला
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ज्ञानवापी में मिले तीन शिलालेखों ( 4 8 और 29) में महामुक्तिमंडप का उल्लेख किय गया है। इसे एएसआई ने सबसे महत्वपूर्ण बताय है। एएसआई का कहना है कि महामुक्तिमंडप शिव के प्रसिद्ध निवास के अस्तित्व को स्थापित करने में मदद करता है। इसका वर्णन प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है।
शिलालेख 24 से एक विशेषण परममणियकदेव का पता लगता है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में 34 शिलालेख मिले हैं। इनमें से सिर्फ तीन शिलालेख ही अच्छी स्थिति में हैं। इन शिलालेखों के विश्लेषण से पता चला कि 15वीं से 17वीं शताब्दी में आने वाले तीर्थ यात्रियों ने उस पर कुछ लिखा था।
शिलालेखों से तीर्थ यात्रियों की चार प्रकार की गतिविधियों का पता लगा है। इसमें देवता को प्रणाम करना, दीपक जलाने का प्रावधान करना और अखंड दीपक जलाना शामिल है। शिलालेखों से आर्यावती, सुम्भाजी, सोनाजी, मल्लाना-भालू, नारायण-भाशिउ, जीवंतदेव, नारायणन रमन. पंडिता मालविधरा, रघुनाथ, दोदारसैय्या, नरसम्ना, कासी और कान्हा जैसे व्यक्तिगत नामों की जानकारी मिलती है। लशुमदेश और कुर्हकालमंडल की जानकारी भी शिलालेख से मिलती है।
स्तंभ पर मिले कमल पदक, है कलियों की श्रृंखला
ज्ञानवापी की मौजूदा संरचना के एक स्तंभ में कमल पदक विद्यमान है। स्तंभ के 18 फूलों की कलियों की श्रृंखला से सजाया गया है। एक स्तंभ में कमल पदक के अलावा प्रत्येक कोने में पुष्प कलियां मिली हैं। एक स्तंभ पर खिला कमल पदक और 22 फूलों की कलियों की श्रृंखला मिली है।
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