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सिद्धार्थनगर. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में रविवार को जमीन विवाद में हुई मारपीट में एक व्यक्ति की इलाज के दौरान मौत हो गई. इस घटना से गुस्साए परिजनों ने सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय के अशोक मार्ग को घंटों जाम रखा. मृतक युवक के घर वाले आरोपियों को गिरफ्तार करने और संबंधित थाना क्षेत्र के थाना इंचार्ज को निलंबित करने की मांग कर रहे थे. बाद में अधिकारियों के काफी समझाने के बाद ग्रामीणों ने जाम समाप्त किया और मृतक के शरीर का दाह संस्कार करने को राजी हुए.
रविवार की देर शाम सिद्धार्थनगर जिले के उसका थाना क्षेत्र के छितरापार गांव के सैकड़ों पुरुष महिला और बच्चे गांव से निकलकर मुख्यालय की तरफ कूच करने लगे. छितरापार गांव के ग्रामीण इस बात से नाराज थे कि दलित समुदाय के दो परिवार वालों के बीच जमीनी विवाद में हुई मारपीट में पुलिस ने अपनी भूमिका सही से नहीं निभाई.
ग्रामीणों का आरोप था कि इस जमीन विवाद में पुलिस एक पक्ष से पैसा लेकर उनको बचाने का काम कर रही है और इस विवाद में हुई हत्या के आरोपियों को थाने से छोड़ दिया.
क्या है पूरा मामला
शनिवार को उसका थाना क्षेत्र के छितरापार गांव में जमीन विवाद को लेकर इसी गांव के दलित समुदाय के दो परिवार गोविंदा और राजकुमार के बीच पुलिस की मौजूदगी में खूब ईंट-पत्थर और लाठी-डंडे चले. इस विवाद में करीब दर्जन भर लोग को गंभीर चोटें आईं, जिसमें गोविंद के 22 वर्षीय पुत्र धीरज की इलाज के दौरान गोरखपुर में मौत हो गई.
मृतक धीरज के परिवार वालों का आरोप है कि उसका थाने की पुलिस पूर्व प्रधान के साथ मिलकर राजकुमार और अन्य आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है. इस घटना में उसके पुत्र धीरज के कातिलों को पुलिस ने थाने पर कुछ देर तो बिठाया, लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया.
इस बीच आज घटना में मृतक धीरज का शव जब गांव आया तो धीरज के परिवार वालों के साथ-साथ ग्रामीण भी उग्र हो गए और उन्होंने धीरज के शव का दाह संस्कार करने से मना कर दिया. शव लेकर वे जिला मुख्यालय पहुंच गए और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक आवास को जाने वाली अशोक मार्ग पर शव रख कर धरने पर बैठ गए धरने पर बैठे लोगों की मांग थी कि आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और आरोपियों के साथ मिली पुलिस पर भी कारवाई की जाए.
जिला मुख्यालय पर सड़क जाम की सूचना पर तत्काल भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुंची और उनको समझाने का प्रयास करने लगी इस बीच धरना दे रहे परिवार और ग्रामीणों से अपर जिलाधिकारी उमा शंकर और अपर पुलिस अधीक्षक सुरेश चंद्र रावत ने बात की और उन्हें इस बात से आश्वस्त किया कि आरोपियों की गिरफ्तारी तत्काल की जा रही है साथ ही पुलिस कर्मियों के ऊपर जो आरोप लग रहे हैं उसकी भी जाँच कर उन पर कार्यवाही की जाएगी पुलिस के इस आश्वासन के बाद मृतक के परिजनों और गांव वालों ने जाम समाप्त किया और अपने गांव को वापस लौटे गए.
यदि ग्रामीणों का आरोप सही है तो पुलिस बल पर इतने बड़े और गंभीर आरोप लगे हैं जिसका जवाब देना पुलिस महकमा को भारी पड़ सकता है. फिलहाल हर बार की तरह इस बार भी पुलिस अधिकारी जांच कराकर संलिप्त व्यक्तियों पर कार्यवाही की बात कर रहे हैं. इन सबके बीच बड़ा प्रश्न यह उठता है कि जब स्थानीय लोगों ने पुलिस से शिकायत की तो उस पर एक्शन क्यों नहीं लिया गया. अगर लिया गया होता तो शायद एक व्यक्ति की मौत नहीं होती और ना ही कोई घायल होता और ना ही दो पक्षों के बीच ईंट-पत्थर चलते.
आपके शहर से (सिद्धार्थनगर)
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