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chicken
– फोटो : istock
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बरेली में केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) के वैज्ञानिकों ने अंडे सेने की तकनीक विकसित की है। अंडों को मशीन में रखने के कुछ दिन बाद चूजे विकसित हो जाएंगे। इससे पोल्ट्री किसानों को अंडों की निगरानी करने की जरूरत नहीं होगी। डेलापीर के एक कारोबारी को तकनीक हस्तांतरित कर दी गई है। यह मशीन जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी। वहीं जो मुर्गियां अंडे नहीं देतीं, उनके मांस का अचार बनाया जा सकेगा।
वैज्ञानिक डॉ. जयदीप जयवंत रोकाडे के मुताबिक पोल्ट्री फार्म हो या घर, अंडे से चूजे निकालने के लिए निगरानी की जरूरत होती है। अक्सर दूसरे जानवर अंडों को खा लेते हैं या जाने-अनजाने इसके फूटने की आशंका भी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए दो साल पहले शोध शुरू किया गया था।
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उन्होंने बताया कि अंडों को सेने में सर्वाधिक भूमिका तापमान की होती है। 20 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर ही अंडों में चूजे के विकास की प्रक्रिया शुरू होती है। जब तक चूजे बाहर न आ जाएं, तब तक मुर्गियों का क्रय-विक्रय भी नहीं किया जा सकता। कई प्रयोगों के बाद कैरी पोर्टेबल पोल्ट्री इंक्यूबेटर तकनीक तैयार की गई जो चूजे के विकास के लिए अनुकूल माहौल देती है।
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