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एसके अग्रवाल और बालकृष्णा सराफ।
– फोटो : अमर उजाला।
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देश की रक्षा के लिए भामाशाह ने महाराणा प्रताप के सामने अपनी धन की गठरी खोल दी थी। उसी प्रकार राम मंदिर आंदोलन के दौरान कारसेवकों के लिए गोरखपुर के उद्योगपतियों ने भी खजाना खोल दिया था। धर्म की रक्षा के लिए भामाशाह यहां के व्यापारी बन गए थे।
यहां तक कि जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा पर रोक लगी थी तो बिहार के बार्डर वाले जिलों में खाद्यान्न संकट गहरा गया था। उस दौरान इन उद्यमियों ने कारसेवकों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और तमकुहीराज (कुशीनगर) बार्डर पहुंचकर भोजन एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था की।
गोरखपुर के कारसेवक आद्या प्रसाद सिंह को गोली लगी तो उनका गोरखपुर के डॉक्टरों ने निशुल्क इलाज किया था। ये उद्यमी अपने इन कार्यों का श्रेय लेना भी नहीं चाहते।
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