भाईदूज पर मेरठ की ये परम्परा है निराली, 30 साल से संस्कृत भाषा के उत्थान का चल रहा प्रयास

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मेरठ. यूपी के मेरठ में ऐसा कार्यक्रम होने जा रहा है, जो सिर्फ देवभाषा संस्कृत को समर्पित है. इस कार्यक्रम में कवि सम्मेलन से लेकर वाद विवाद प्रतियोगिता और विचार गोष्ठी भी संस्कृत में ही आयोजित की जाएगी. सामान्य बातचीत भी यहां लोग संस्कृत में ही करेंगे. आगामी 27 अक्टूबर से 02 नवम्बर तक मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में इस अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

यमद्वितीया के सम्बन्ध से एक विशेष बात यह भी है कि मेरठ के इस क्षेत्र में सूर्य ने तपस्या के द्वारा यम और यमुना नामक दो संतानों को प्राप्त किया था. तप के फलस्वरूप यहां एक सूर्यकुण्ड बना. महाभारत काल में भी इस कुण्ड का बड़ा महत्त्व था. मान्यता है कि आज भी इस कुण्ड के नीचे यमुना प्रवाहित हो रही है, जिसका जल पूर्व में इस कुण्ड में था और काल प्रवाह में लुप्त हो गया.

बताया जाता है कि यदि आज भी खुदाई की जाए तो यमुना का जल यहां कुण्ड में प्राप्त हो सकता है. सूरजकुंड के इसी महत्त्व के कारण ही व्यास समारोह में शोभायात्रा के कलश का इस मिट्टी से तिलक किया जाता है. मान्यता है कि इस मिट्टी से तिलक करने वाले व्यक्ति के सभी कार्य स्वयं सफल हो जाते हैं.

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के संस्कृत भाषा विभाग के प्रचार प्रसार उत्थान के लिए बीते 30 वर्षों से व्यास समारोह का आयोजन किया जाता रहा है. इस वर्ष भी समारोह में संस्कृत को लेकर वाद विवाद प्रतियोगिता शोध संगोष्ठी. पौराणिक कथा माया संस्कृत कवि सम्मेलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, यौगिक बल प्रदर्शन ऐतिहासिक स्थल की यात्रा तथा शोभायात्रा का आयोजन किया जाएगा. इस समारोह का आयोजन यमद्वितीया (भाई दूज) से प्रारंभ होता है. इस वर्ष यह व्याससमारोह यमद्वितीया 27 अक्टूबर से 2 नवंबर 2022 तक आयोजित होने जा रहा है. इस वर्ष का विषय भागवत पुराण है.

27 अक्टूबर 2022 से प्रारंभ होने जा रहे व्यास समारोह की शुरुआत शोभायात्रा से होगी. समारोह के द्वितीय दिवस 28 अक्टूबर अन्तर्महाविद्यालवीया संस्कृत वाद-विवाद: प्रतियोगिता से होगा भागवत पुराण में संबंधित शोध संगोष्ठी का आयोजन होगा. चमत्कारिक योग बल प्रदर्शन का कार्यक्रम भी होगा. इसमें  संस्कृत से छात्र-छात्राएं प्राणायाम के बल पर गले से सरिया मोड़ने, ट्यूब लाइट को अपने शरीर पर फोड़कर दिखाना विभिन्न क्रियाओं का प्रदर्शन करेंगे. विभिन्न विशिष्ट आसनों का भी प्रदर्शन किया जाएगा. कवि सम्मेलन का कार्यक्रम भी होगा, जिसमें कवि अपनी संस्कृत कविताएं प्रस्तुत करेंगे.

29 अक्टूबर को संस्कृत वादविवाद प्रतियोगिता का आयोजन होगा. ऐसे ही दो नवंबर तक एक से बढ़कर एक कार्यक्रम संस्कृत में ही होंगे. सांस्कृतिक कार्यक्रम में संस्कृत माध्यम से गीत, नृत्य, नाटक नाटिकाएं आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे. मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान हरियाणा पंजाब उडीसा आंध्रप्रदेश आदि दक्षिण भारतीय प्रदेशों से आए विद्वान भी शोध पत्र प्रस्तुत पर संस्कृत साहित्य को नई दिशा प्रदान करेंगे. इस व्यास समारोह को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास किया जाएगा. संस्कृत विभाग के समन्वयक प्रोफेसर बाचस्पति मिश्र ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित इस समारोह को दीपक की माला बताया है.

Tags: Meerut news, UP news

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