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रामघाट रोड पर गंगा दशहरा को लेकर खरबूजे खरीदते लोग
– फोटो : अमर उजाला
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गंगा दशहरा का पर्व धार्मिक उल्लास एवं पारंपरिक तरीके से मनाया जाएगा। सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गंगा तट पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाएंगे और दान पुण्य करेंगे। इसको लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु सोमवार रात में ही गंगा तटों पर रवाना हो गए। गंगा दशहरा को लेकर पूर्व संध्या पर बड़ी संख्या में लोगों ने बाजार में पहुंचकर पर्व के महत्व को देखते हुए खरबूज, तरबूज, घड़ा, सुराही, हाथ के पंखे, पतंग की खूब खरीदारी की।
गंगा तटों पर स्नान एवं दान पुण्य के लिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु रवाना हो गए। मंगलवार को शहर भर में शर्बत, प्रसाद वितरण के साथ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होंगे। परंपरा के अनुसार बड़ी संख्या में लोग पतंगबाजी भी करेंगे। इसको लेकर शहर और देहात में पतंग प्रतियोगिताएं भी होंगी।
आस्था एवं दान-पुण्य का पर्व
गंगा दशहरा के दिन गंगा जी भगवान भोलेनाथ की जटा से निकलकर धरती पर अवतरित हुई थीं। इसको लेकर यह पर्व काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है। गंगा दशहरा पर गंगा स्नान के साथ ही दान पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। पर्व धर्म के साथ सेवा को भी बढ़ावा देते हैं। जयेष्ठ महीने के चलते भीषण गर्मी होती है। इसलिए हमारे यहां गर्मी के दिनों में घड़ा, जल, मीठा शर्बत आदि दान करने की परंपरा है। तरबूज, खरबूजा आदि फल भी दान किए जाते हैं। गंगा दशहरा के दिन इन चीजों का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा दशहरा पर्व को लेकर सोमवार रात से ही श्रद्धालु गंगा तटों के लिए निकल गए।
रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर श्रद्धालुओं की भीड़ शाम से ही देखी जाने लगी। बहुत सारे भक्त गंगा तट पर पहुंचकर रात्रि में भजन- कीर्तन करेंगे और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करेंगे। जिले से नरौरा, रामघाट और सांकरा घाट पर पहुंचकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि गंगा दशहरा पावन पवित्र पर्व है। मां गंगे ने इस दिन धरती पर अवतरित होकर हम सबके जीवन को धन्य कर दिया। अधिकांश धार्मिक आयोजन मां गंगा के तट के किनारे होते हैं। मां गंगा के आशीर्वाद से ही घरों में शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। इससे मां गंगा की महत्व का पता चलता है। ज्योतिषाचार्य आदित्य नाराण अवस्थी ने बताया कि मां गंगा हम सबकी जीवनदायिनी हैं।
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