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ओलावृष्टि से टूटकर बर्बाद हुआ पान
– फोटो : अमर उजाला
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लाजवाब स्वाद और करारेपन के लिए देश-विदेश में मशहूर महोबा का देशावरी पान प्रकृति के प्रकोप से बर्बाद हो गया। रविवार को हुई भारी ओलावृष्टि से बरेजों में लगे अधिकांश पान टूटकर गिर गए। जो पान शेष बचे उनमें बड़े-बड़े छेद हो गए, जिससे जिले के पान किसानों को करीब 60 लाख का नुकसान हुआ है। कोई सरकारी सहायता न मिलने से पान किसान परेशान हैं।
दो दशक पहले तक जिले में करीब 500 एकड़ में पान की खेती होती थी। महोबा का देशावरी पान पश्चिमी उत्तर प्रदेश व दिल्ली तक जाता है लेकिन लगातार उपेक्षा के चलते पान का दायरा घटता गया। वर्तमान में महज 20 से 25 एकड़ में ही पान की खेती होती है। ढाई साल पहले महोबा के देशावरी पान को जीआई टैग मिला था। तब किसानों को उम्मीद जगी थी, लेकिन शासन-प्रशासन की लगातार उपेक्षा जारी रही। रविवार को जिले में भारी ओलावृष्टि होने से पान की खेती को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। बरेजों में लगे पान के पत्ते तेज हवा और ओलावृष्टि से टूटकर गिर गए, जबकि कुछ पान के पत्तों में छेद होने से काले दाग लग गए।
किसानों ने बताया कि पान की खेती का न तो बीमा किया जाता है और न ही कोई सरकारी सहायता मिलती है। किसानों को लाखों की क्षति होने के बाद भी शासन-प्रशासन से कोई उम्मीद नहीं है। परिवार के भरण-पोषण का एकमात्र सहारा दैवी आपदा के प्रकोप की भेंट चढ़ गया। इससे दो वक्त की रोटी की समस्या पैदा हो गई है।
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