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उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा पत्रकार वार्ता करते हुए
– फोटो : सूचना विभाग
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उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा ने 19 जनवरी को कमिश्नरी सभागार में मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना, नशामुक्ति अभियान एवं बाल संरक्षण से जुड़ी योजनाओं की मंडलीय समीक्षा की। उन्होंने भिक्षा से शिक्षा अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रत्येक अधिकारी एवं विभाग अपने आसपास के मंदिरों, मस्जिदों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, चौराहों एवं सार्वजनिक स्थानों पर भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को मुक्त कराते हुए उनका विद्यालयों में प्रवेश कराना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि सभी आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम, रसोई पकाने वाली महिलाओं एवं उनके बच्चों को प्राथमिकता से निराश्रित महिला पेंशन, ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान कार्ड, कन्या सुमंगला समेत अन्य योजनाओं का लाभ दिलाएं। उन्होंने सीएसआर फंड से आंगनबाड़ी केंद्रों के जीर्णोद्धार एवं अन्य कार्यों को कराने के भी निर्देश दिए। कहा कि बच्चों से संबंधित सभी एनजीओ को सूचीबद्ध किया जाए। राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के प्रवेश की जानकारी पर बीएसए ने बताया कि जिले में 3500 विद्यालयों में 2900 बच्चों का प्रवेश हुआ है।
आयोग के अध्यक्ष ने इन आंकड़ों पर आश्चर्य जताया कि सभी विद्यालयों की मान्यता तो है लेकिन पोर्टल पर पंजीकृत न होने से इन विद्यालयों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा का लाभ नहीं मिल पाता है। इस पर उन्होंने अभियान चलाकर सभी निजी विद्यालयों का पंजीकरण कराते हुए उनमें 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा एक युद्ध नशे के विरूद्ध अभियान का संचालन किया गया है। जिसके तहत सभी इंटर कॉलेजों में कक्षा 6 से 12 तक एवं एवं महाविद्यालयों में प्रहरी क्लब गठित किए जाएंगे। विद्यालयों में एक सप्ताह में प्रहरी क्लब का गठन कराते हुए विद्यालयों के 100 मीटर की परिधि में तंबाकू एवं अन्य मादक पदार्थों की ब्रिकी रोकी जाए। जिला प्रोबेशन अधिकारी से समन्वय करते हुए 31 जनवरी तक प्रार्थना सभाओं में नशामुक्ति के लिए शपथ दिलाकर फोटोग्राफ दें। मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी लगवाते हुए प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर पूर्णतः रोक लगाई जाए।
मंडलायुक्त रविंद्र ने कहा कि बच्चे हमारे भविष्य के आधार हैं, जो विषय बच्चों के अधिकार से संबंधित हैं उनको अलग-अलग विभागों द्वारा क्रियान्वित करना हैं। ऐसे में आपसी समन्वय से कार्य करते हुए शासन की मंशा को धरातल पर मूर्त रूप प्रदान करें। उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक के लिए सरकार द्वारा ऐसी अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे बच्चे की दशा और दिशा बदल सकती है।
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