For the first time in history, Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand will do winter Char Dham Yatra

For The First Time In History, Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand Will Do Winter Char Dham Yatra – Amar Ujala Hindi News Live

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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

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ठंड के मौसम में चार धाम की यात्रा के मिथक को तोड़ने की पहल ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने की है। अब तक के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब शंकराचार्य शीतकालीन चार धाम यात्रा करेंगे। उत्तराखंड में ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 27 दिसंबर को इस यात्रा का श्रीगणेश अपने भक्तों के साथ करेंगे।

शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा ऐतिहासिक पहल है और अब तक के इतिहास में पहली बार कोई शंकराचार्य ऐसी यात्रा कर रहे हैं। मान्यता है कि शीतकाल के छह मास उत्तराखंड के चार धामों की बागडोर देवताओं को सौंप दी जाती है। उन स्थानों पर प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को शीतकालीन पूजन स्थलों में विधि-विधान से उत्सव सहित विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर भी देवता की पूजा छह मास तक पारंपरिक पुजारी निरंतर करते रहते हैं। परंतु सामान्य लोगों में यह धारणा बनी रहती है कि अब छह मास के लिए पट बंद हुए तो देवताओं के दर्शन भी दुर्लभ होंगे। ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुंदानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि जन-सामान्य की इसी अवधारणा को हटाने और उत्तराखंड की शीतकालीन चारधाम तीर्थ यात्रा को आरंभ कर देवताओं के इन शीतकालीन प्रवास स्थल पर दर्शन की परंपरा का शुभारंभ करने के लिए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 26 दिसंबर को हरिद्वार स्थित अपने आश्रम पहुंच रहे हैं। 27 दिसंबर से 2 जनवरी 2024 तक यात्रा चलेगी। देव-दर्शन से जहां एक ओर यात्रियों को धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ होगा वहीं इस यात्रा से पहाड़ के स्थानीय लोगों का भौतिक लाभ भी निहित है। ज्योतिर्मठ के मीडिया प्रभारी डाॅ. बृजेश सती ने बताया कि शंकराचार्य महाराज की यात्रा की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

 

ऋषि मुनियों की देन हैं धार्मिक यात्राएं

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक उन्नति में यदि साधु-संतों का योगदान है तो आर्थिक उन्नति में भी भारत के संत पीछे नहीं रहे हैं। आज देश में जो भी धार्मिक यात्राएं चल रही है वे सभी हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों की देन हैं। उत्तराखंड में आर्थिक उन्नति के पीछे इन धार्मिक यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान है।

हरिद्वार से शुरू होगी यात्रा

27 दिसंबर को हरिद्वार स्थित श्रीशंकराचार्य मठ से यात्रा शुरू होगी। 28 व 29 दिसंबर को उत्तरकाशी, 30 दिसंबर को भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजा स्थली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर, 31 दिसंबर को बद्रीकाश्रम हिमालय, एक जनवरी को ज्योतिर्मठ और दो जनवरी को हरिद्वार में रात्रि-विश्राम करेंगे।

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