Hepatitis day today: Medicine department of KGMU gives a report based on study.

खुलासा:असुरक्षित शेविंग कराने से भी हेपेटाइटिस-बी का खतरा, पांच साल में आए संक्रमण के मामलों में हुआ अध्ययन – Hepatitis Day Today: Medicine Department Of Kgmu Gives A Report Based On Study.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : Getty Images

विस्तार


हेपेटाइटिस-बी के 50 फीसदी मरीज बगैर किसी लक्षण के होते हैं। शुरुआती दौर में इसके संक्रमण की जानकारी होने पर इलाज में आसानी होती है। देरी होने पर हेपेटाइटिस-बी लिवर से संबंधित गंभीर रोग का कारण बनता है और संक्रमित की जान भी जा सकती है। केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में हुए अध्ययन में सामने आया है कि कुल मरीजों में से 52 फीसदी ऐसे थे, जिनके संक्रमण की वजह असुरक्षित तरीके से शेविंग (दाढ़ी बनाना) कराना रही। इस अध्ययन को जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

मुख्य अध्ययनकर्ता प्रो. अजय कुमार पटवा ने बताया कि मेडिसिन विभाग में यह अध्ययन वर्ष 2014 से 2019 के बीच आए 1508 मरीजों पर किया गया। इस अध्ययन के अनुसार कुल मरीजों में से 52 फीसदी को यह संक्रमण सड़क के किनारे या फिर असुरक्षित तरीके से शेविंग कराने से हुआ। इसके अलावा सर्जरी से 34 फीसदी, दांत निकलवाने से 25 फीसदी और 16 फीसदी को टैटू बनवाने से, 10 फीसदी को खून चढ़वाने तथा 0.2 फीसदी लोगों को नशीली दवाएं लेने के दौरान हेपेटाइटिस-बी का संक्रमण हुआ। ये सभी वर्ग हेपेटाइटिस-बी के लिए उच्च जोखिम वर्ग में आते हैं।

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इससे संक्रमित व्यक्तियों में लक्षण काफी देर से दिखते हैं, इसलिए समय से पहचान के लिए इन उच्च जोखिम वर्ग के व्यक्तियों को अपनी जांच खुद ही करवा लेनी चाहिए। कुल संक्रमित व्यक्तियों में से 50 फीसदी लोग सामान्य दवाओं से या कई बार अपने आप छह महीने में ठीक हो जाते है। हालांकि इसके बावजूद ऐसे रोगी अन्य व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते हैं।

अन्य बीमारी के बाद हुई जांच में 40 फीसदी को पता चला संक्रमण

अध्ययन के दौरान देखा गया कि इस बीमारी के कुल रोगियों में से 40 फीसदी ऐसे थे, जिनको दूसरी बीमारी के दौरान हुई खून की जांच में इस संक्रमण का पता चला। 23 फीसदी रोगी लिवर संबंधी बीमारी की जांच से, सर्जरी से पहले हुई जांच में 10 फीसदी, गर्भावस्था की जांच में 6 फीसदी, वीजा क्लीयरेंस में 4 फीसदी, फेमिली स्क्रीनिंग में 3 फीसदी, रक्तदान के दौरान 2 फीसदी और हेल्थ कैंप में 0.2 फीसदी में हेपेटाइटिस-बी की पुष्टि हुई।

बनाया गया चिकित्सीय निर्देशों का सेट-

इस अध्ययन की सबसे बड़ी विशेषता चिकित्सकों की सुविधा के लिए थेरेप्यूटिक एल्गोरिद्म तैयार करना है। इस एल्गोरिद्म में चिकित्सीय निर्देशों का सेट है। इस सेट के माध्यम से चिकित्सक हेपेटाइटिस-बी के रोगियों की जांच, पहचान, इलाज और फॉलोअप कर सकते हैं। इस अध्ययन में डॉ. अजय पटवा के साथ ही अमरदीप, वीरेंद्र आतम, प्रतिष्ठा मिश्रा, सुमित रुंगटा, अनिल गंगवार, अंकुर यादव, कमलेश के गुप्ता, भास्कर अग्रवाल, संजीव के वर्मा और अमित गोयल शामिल रहे।

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