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दो हजार रुपये का प्रतीकात्मक नोट
– फोटो : social media
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केंद्र सरकार के 2000 के नोट को चलन से बाहर करने की घोषणा के तीसरे दिन इसका असर देखने को मिला। बाजारों में जहां दुकानदारों ने 2000 का नोट लेने से पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया है तो कई नामी गिरामी अस्पतालों, शो-रूम में भी नोट न लेने की शिकायतें मिल रही हैं।
सरकार ने नोट को वापस लेने के लिए अभी 30 सितंबर की तारीख तय की है। संभावना है कि सरकार इस समय सीमा को और भी बढ़ा सकती है। पिछली बार नोटबंदी के बाद उपजे हालातों को देखकर इस बार सरकार ने 23 मई से 2000 के नोटों को बदलने अथवा बैंक खातों में जमा करने की घोषणा की है। कोई भी व्यक्ति इन नोटों को 30 सितंबर तक जमा कर सकता है। इसके लिए प्रत्येक बैंक शाखा, डाकघर एवं अन्य सरकारी विभागों में नोटों का लेन-देन जारी रहेगा।
बस केवल यह बंदिश जरुर रखी गई है कि एक बार में एक व्यक्ति अधिकतम 10 नोट ही जमा कर सकेगा। रविवार को नोट लेकर बाजार में पहुंचे लोगों को दुकानदारों ने नोट लेने से साफ इंकार करते हुए वापस कर दिया। शहर के कई अस्पतालों में मरीजों के तीमारदारों से भुगतान के रूप में काउंटर पर 2000 का नोट न लेने की जानकारी मिली है। इसको लेकर लोगों की बहस भी हुई। काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों का कहना था कि नोट लेने के बाद उन्हें बदलने एवं बैंक में जमा करने के लिए उन्हें घंटों लाइन में लगना पड़ेगा। इसलिए वे नोट लेने से इंकार कर रहे हैं।
अग्रणी बैंक शाखा के प्रबंधक सुरेश राम ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के तहत कोई भी नोट लेने से इंकार नहीं कर सकता है। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो उसकी लिखित शिकायत की जा सकती है। उन्होंने बताया कि मंगलवार से ग्राहकों के नोट बदलने एवं जमा करने को उमड़ने वाली भीड़ को लेकर सभी बैंक शाखाओं में व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश सभी बैंंक शाखा प्रबंधकों को दिए गए हैं। उधर, एडीएम सिटी अतुल कुमार भट्ठ ने कहा है कि रुपये लेने से मना करने वालों को चिन्ह्त किया जाएगा।
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