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गोरखपुर सपा कार्यालय में चुनाव की समीक्षा करते पदाधिकारी।
– फोटो : अमर उजाला।
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गोरखपुर नगर निगम चुनाव में मेयर और पार्षद का परिणाम आने के बाद रविवार को कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल था। भाजपा कार्यालय पर जीते पार्षदों को मिठाई खिलाकर बधाई दी गई तो सपा, बसपा और कांग्रेस खेमे में मायूसी नजर आई।
कुछ हारे हैं लेकिन बोर्ड तो बन गई
भाजपा के बेनीगंज कार्यालय पर रविवार को माहौल खुशनुमा था। महानगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता अपने समर्थकों साथ पहले से मौजूद रहे। नवनिर्वाचित पार्षदों के पहुंचने पर उन्हें पहुंचकर माला पहनाकर मिठाई खिलाई। वहीं, कुछ हारे हुए उम्मीदवार भी पहुंचे थे, उन्हें अगल कमरे में ले जाकर चुनावी समीक्षा की। बाद में रिपोर्ट देने को कहा। इसके पहले पार्टी के सभी पदाधिकारी गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और वहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आशीर्वाद लिया।
निष्पक्ष चुनाव होता तो परिणाम कुछ और होता
बेतियाहाता स्थित पार्टी कार्यालय पर सपा की तरफ से हार के कारणों की समीक्षा होने लगी है। रविवार को समीक्षा में हर नेता की अपनी राय थी। लेकिन, सभी नेताओं ने यह आरोप लगाया कि प्रशासन की तरफ से भेदभाव किया गया है। मतगणना में धांधली की गई है। जिलाध्यक्ष ब्रजेश कुमार गौतम ने कहा कि सबकी रिपोर्ट तैयार करके प्रदेश कार्यालय भेजा जाएगा।
इस दौरान निवर्तमान नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार त्रिपाठी, जियाउल इस्लाम सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। पार्टी की तरफ से मेयर प्रत्याशी रहीं काजल निषाद, तारामंडल क्षेत्र स्थित अपने घर पर ही रहीं। वहां भी सुबह से उनसे मिलने वाले पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं का सिलसिला जारी रहा। पार्टी कार्यालय पर मेयर की सीट के साथ ही उन 5 वार्ड में भी हार का सामना करने पर विशेष चर्चा हुई, जहां पिछली बार यानी 2017 के चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी जीत दर्ज कराकर पार्षद बने थे। काजल निषाद ने चुनाव में जुटे सभी नेताओ, कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्हें इसी तरह ऊर्जा बनाए रखने की अपील की।
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यहां चुनाव में प्रत्याशी नहीं मिले, चिंता छोड़ कर्नाटक की जीत मना रहे
महानगर और जिला कांग्रेस कमेटी का कोई कार्यालय ही नहीं है। ऐसे में हार की समीक्षा भी सभी उम्मीदवार घरों पर करते रहे। महानगर कांग्रेस कमेटी के सचिव मोहम्मद अरशद ने कहा कि महानगर और जिला कमेटी इसकी चिंता करने की जगह कर्नाटक जीत का जश्न मनाती रही। कांग्रेस के एक प्रत्याशी की जीत हुई है। हालांकि, इसमें भी पार्टी या पदाधिकारियों का कोई बहुत योगदान नहीं है।
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