आपातकालीन खिड़की से ट्रेन के अंदर दाखिल होता यात्री।

सफर की अधूरी खुशी:दिल्ली के सफर में अभी और झेलनी पड़ेगी सांसत, वंदेभारत की है उम्मीद – Ongoing Work Of Track Repair And Automatic Signal System

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आपातकालीन खिड़की से ट्रेन के अंदर दाखिल होता यात्री।
– फोटो : अमर उजाला।

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दिल्ली के सफर में यात्रियों को अभी और मुसीबत झेलनी पड़ेगी। ट्रैक को दुरुस्त करने और एक ट्रैक पर आगे पीछे ट्रेनों को चलाने के लिए चल रहे ऑटोमेटिक इंटरलॉकिंग सिग्नलिंग सिस्टम को पूरा होने में दो वर्ष का समय लग जाएगा। इसके बाद ही नई ट्रेनों को चलाना संभव हो पाएगा। वहीं, सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच भी लगाए जाएंगे, इससे रेक की संरचना बदल जाएगी। स्लीपर और जनरल के कोच कम हो जाएंगे।

ट्रेनों की गति बढ़ाने के लिए छपरा से गोरखपुर तक ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम लगाया जाना है। इस व्यवस्था से ट्रेनें एक ही ट्रैक पर एक किमी की दूरी में आगे-पीछे चल सकेंगी। इससे नई ट्रेनों को चलाने में आसानी होगी। डोमिनगढ़ से टिनिच तक टेंडर फाइनल हो चुका है, गोरखपुर कैंट से भटनी और टिनिच से गोंडा तक कार्य का टेंडर सप्ताह भर में फाइनल होगा।

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गोंडा-लखनऊ, भटनी-छपरा ग्रामीण तक टेंडर अगले महीने निकाला जाएगा। इस काम को दो साल में पूरा कराना है। वहीं, तीसरी लाइन का काम भी चल रहा है। यह काम भी दो वर्ष के पहले पूरा नहीं हो पाएगा। जब ये काम हो जाएंगे, तभी दिल्ली के लिए नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी।

 

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