Jhansi: 500 रिसर्च पेपर और 80 से अधिक किताबें, गणितज्ञ राधाचरण गुप्त को मिलेगा ‘बुंदेलखंड के मोती’ सम्मान

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हाइलाइट्स

झांसी में 1935 में जन्मे राधाचरण गुप्त ने 500 से अधिक रिसर्च पेपर और 80 से अधिक किताबें लिखी हैं.
राधाचरण गुप्त को गणित के इतिहास पर रिसर्च के लिए केनेथ ओ मे आवॅर्ड मिल चुका है.

रिपोर्ट: शाश्वत सिंह

झांसी. कहा जाता है कि सबसे अच्छा मोती समुद्र की गहराई में छुपा होता है जिस पर आम आदमी की नजर नहीं पड़ती. यही नियम कुछ लोगों पर भी लागू होता है जो मोती की तरह ही होते हैं, लेकिन आम लोग उन्हें पहचान भी नहीं पाते. ऐसे ही एक व्यक्ति हैं डॉ. राधाचरण गुप्त. झांसी के रहने वाले गुप्त ने अपना पूरा जीवन मैथ्स के इतिहास को दे दिया. 1935 में जन्मे राधाचरण गुप्त ने 500 से अधिक रिसर्च पेपर और 80 से अधिक किताबें लिखी हैं. शिक्षाविद डॉ. बृजेश दीक्षित बताते हैं कि राधाचरण गुप्त का पूरा जीवन गणित को समर्पित रहा है और वह आज भी उस क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं.

राधा चरण गुप्त के काम और गणित के इतिहास के प्रति उनकी लगन को देखते हुए उन्हें केनेथ ओ मे (KENNETH O MAY) अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. यह अवॉर्ड पाने वाले वह एकमात्र भारतीय हैं. इसके साथ ही आईआईटी मुंबई ने उनके चुनिंदा रिसर्च पेपर्स को एकत्रित करके एक किताब का रूप दिया है. इस किताब का नाम गणितानंद है. वैदिक मैथमेटिक्स पर आधारित यह किताब आज हर ओर चर्चा का विषय बनी हुई है. इसके साथ ही आईआईटी गांधीनगर उनकी सभी किताबों और रिसर्च पेपर को डिजिटिलाइज करने जा रहा है.

बुंदेलखंड के मोती पुरुस्कार से किया जाएगा सम्मानित
राधा चरण गुप्त की उपलब्धियां जितनी बड़ी है उसके मुकाबले उन्हें उतना सम्मान और प्रतिष्ठा नहीं मिली. केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा उन्हें किसी पुरस्कार के लिए चुना नहीं गया है, लेकिन अब झांसी मंडल प्रशासन ने उन्हें बुंदेलखंड के मोती पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. पर्ल्स ऑफ बुंदेलखंड समिति के अध्यक्ष डॉ मुन्ना तिवारी ने बताया कि राधाचरण गुप्त बुंदेलखंड के अमूल्य धरोहर हैं. ऐसे ही धरोहरों को सम्मानित करने का काम पर्ल्स बुंदेलखंड समिति झांसी मंडल के मंडलायुक्त के निर्देशन में देगी.

Tags: Bundelkhand, Jhansi news

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