Shri Kale Ram Temple

Ayodhya News: काले राम के दर्शन के बिना अधूरा है अयोध्या दौरा, जानें क्या है मान्यता?

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रिपोर्ट- सर्वेश श्रीवास्तव

अयोध्या. सरयू तट पर बसी भगवान राम की नगरी अयोध्या यूं तो अपने ऐतिहासिक धरोहर के नाते पूरे विश्व में विख्यात है.उसी अयोध्या में एक काले राम का पौराणिक मंदिर भी है. राम की पैड़ी (Ram ki Paidi) पर स्थित कालेराम मंदिर को 2000 वर्ष पूर्व राजा विक्रमादित्य ने पुनर्स्थापना कर राम मंदिर का निर्माण कराया था, लेकिन 1528 में बाबर का आक्रमण हुआ, तो उस समय वहां के तत्कालीन संत श्यामनंद सरस्वती ने मुगलों के आक्रमण को देखते हुए मूर्ति निकाल कर उसको सरयू में प्रवाहित कर दिया था. वह विग्रह लगभग 220 वर्ष सरयू नदी में पड़ा रहा. 1748 में महाराष्ट्र के एक ब्राम्हण सरयू के किनारे तपस्या कर रहे थे तो सरयू में स्नान के दौरान उनको वह मूर्ति मिली जिसको उन्होंने बताया कि यह कालेराम हैं. इस मूर्ति को नागेश्वर नाथ मंदिर के ठीक पीछे काले राम मंदिर में पुनर्स्थापित किया गया. अयोध्या के सात प्रमुख स्थानों में काले राम मंदिर का भी विशेष स्थान है.

काले राम मंदिर के पुजारी गोपाल राव देश पांडे बताते हैं कि यह विग्रह (मूर्ति) डेढ़ हजार वर्ष राम जन्म भूमि में रहा. जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त काले राम का दर्शन पूजन करते हैं. काले राम सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं

कब खुलता है भगवान काले राम का पट
ग्रीष्मकालीन में सुबह 4:30 बजे से 11:30 बजे तक और शाम 4:30 बजे से 7:00 बजे तक तथा शीतकालीन में सुबह 5:00 से 11:30 तक और शाम 4:30 बजे से 8:30 बजे तक पट खुलता है. साथ ही आरती सुबह 6:30 बजे और शाम 8:30 बजे होती है.

काले राम भगवान की आरती इस प्रकार है:-
श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम् ।
नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कन्जारुणम ॥1॥
कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम ।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमी जनक सुतावरम् ॥2॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम् ।
रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ नन्दनम॥3॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारू उदारु अंग विभुषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धुषणं ।।4।।
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम् ।
मम् हृदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम् ॥5॥
मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरों ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो ॥6॥
एही भांती गौरी असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली ।
तुलसी भवानी पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ॥7॥
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे ॥
सियावर रामचंद्र की जय.

Tags: Ayodhya News, Ayodhya ram mandir

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