अयोध्या: फिर अस्तित्व में आएंगे रामनगरी के प्राचीन कुंड, सेटेलाइट सर्वे से तैयार हो रहा खाका

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अयोध्या. भगवान रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या को उसके खोए हुए स्वरूप को वापस देने की तैयारी है. जिला प्रशासन मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के चलते अयोध्या के प्राचीन कुंड और सरोवरों की तलाश में जुटा है और 2005 में हुए सेटेलाइट सर्वे में जितने भी कुंड और तालाब अस्तित्व में थे उन्हें दोबारा से अस्तित्व में लाने के लिए नगर निगम ने कवायद तेज कर दी है. इसी क्रम में अब कुडों पर किए गए अतिक्रमण और भू माफियाओं के द्वारा बेचे गए कुंड पर घर बनाकर रह रहे लोग भी कार्रवाई की जद में आ गए हैं.

अयोध्या के संतों ने कहा है कि रामनगरी भगवान राम की जन्म स्थली है न कि कोई पिकनिक स्पॉट. यहां पर उसकी प्राचीनता आकर्षित होगी तभी ही लोग यहां आएंगे. संतों ने मांग करते हुए कहा कि भगवान की नगरी के कुंड और तालाबों पर अतिक्रमण कर अवैध कब्जे हुए हैं, जिसका परिणाम है कि कुंड विलुप्त होते जा रहे हैं. संतों ने मांग की है कि लोग जागरूक हों. सामाजिक संगठन आगे आएं और सरकार इस पर काम करे, जिससे कि राम नगरी की प्राचीनता बनी रहे.

कुंडों की हैं अपनी प्राचीन मान्यताएं
रामलला के प्रधान पुजारी कहते हैं कि कुडों की अपनी अलग प्राचीन मान्यताएं और धार्मिक मान्यताएं हैं. उनके अनुरूप तमाम ऐसे कुंड है जिन पर लोगों ने आक्रमण करके उसके अस्तित्व को ही खत्म कर दिया है. बचे हुए कुंड के अस्तित्व को बचाया जाना चाहिए. उसके लिए सरकार को आगे आना होगा और कुडों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में प्रयास करना होगा.

धार्मिक कुंड अतिक्रमण से विलुप्त: महंत राजू दास
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि अयोध्या एक प्राचीन और पौराणिक जगह है इसका अस्तित्व खतरे में है और अस्तित्व को बचाने के लिए यहां मठ मंदिर प्राचीन कुंड और तालाब और पूज्य स्थल सुरक्षित रहेगा तभी आम जनमानस आएगा. राजू दास ने कहा कि अयोध्या के धार्मिक कुंडों पर लोगों ने तेजी के साथ अतिक्रमण किया है जिसका परिणाम है कि कुंड विलुप्त हो रहे हैं. राजू दास ने सरकार और सामाजिक संस्थाओं से आवाहन किया है कि अयोध्या के प्राचीन कुंड और तालाबों को कैसे सुरक्षित रखा जाए इस पर आगे आगे काम करें.

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि राम नगरी के सभी कुंड प्राचीन और धार्मिक मान्यता वाले हैं जहां पर दर्शन पूजन से लाभ होता है. जन कल्याण होता है. ऐसे कुंडों का संरक्षण और संवर्धन अत्यंत जरूरी है. आचार्य सत्येंद्र दास ने आरोप लगाते हुए कहा कि लोगों ने कुडों को ही पाट करके मंदिर बना दिए हैं. कुंड विलुप्त हो गए हैं, जो कुंड बचे हैं उनके संवर्धन की आवश्यकता है.

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