बोर्ड परीक्षा में नकल कराने के मामले में तीन शिक्षिकाएं 21 साल बाद दोषी, कोर्ट ने लगाया 15-15 सौ अर्थदंड

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मुजफ्फरनगर. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर स्थित न्यायालय ने बोर्ड परीक्षा में नकल कराने के एक मामले में मंगलवार को फैसला सुना दिया है. 21 साल बाद नकल कराने वालीं तीन शिक्षिकाओं पर 1500-1500 रुपये अर्थदंड लगाया गया. जुर्माना अदा ना करने पर इन शिक्षिकाओं को 7 दिन कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.

दरअसल, 21 साल पहले 9 अप्रैल 2001 को नई मंडी कोतवाली क्षेत्र स्थित वैदिक पुत्री पाठशाला इंटर कॉलेज में बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चों को गाईड से नकल करना उस समय चार शिक्षिकाओं को भारी पड़ गया था, जब शिक्षा निदेशक सहारनपुर मंडल ने इन शिक्षिकाओं को नकल कराते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. जिसके चलते उस समय वैदिक पुत्री पाठशाला की प्रिंसिपल संतोष गोयल ने इन चारों शिक्षिका कामनी, रीता, अर्चना और उषा पर नई मंडी कोतवाली में मुक़दमा दर्ज कराया गया था. इस मामले में चारों शिक्षिकाओं को अपनी जमानत करानी पड़ी थी.

अर्थदंड नहीं भरा तो 7 दिन का होगा कारावास
इस मामले में 21 साल बाद मंगलवार को एसीजेएम- 1 ने सजा सुनाते हुए तीन शिक्षिका कामनी, रीता और अर्चना को 1500—1500 रुपये का अर्थदंड लगाया है तो वहीं जुर्माना समय पर अदा ना करने पर सभी को 7 दिनों के कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है, जबकि इनमें से एक अन्य शिक्षिका उषा गुप्ता की फाइल अभी कोर्ट में रखी है, जिसपर फैसला आना अभी बाकि है.

शिक्षिकाओं को सजा पर क्या बोले अभियोजन अधिकारी
इस मामले पर मुजफ्फरनगर अभियोजन अधिकारी राम अवतार सिंह ने बताया की थाना नई मंडी में 9 अप्रैल 2001 को एक मुक़दमा पंजीकृत हुआ था, जो वैदिक पुत्री पाठशाला इंटर कॉलिज नई मंडी की प्रिंसिपल संतोष गोयल द्वारा कराया गया था. इसमें परीक्षा के दौरान गाइड से बच्चों को नकल कराने का आरोप था. इसी मामले में न्यायालय द्वारा अभियुक्ताओ को 1500-1500 रुपये के अर्थदंड से दण्डित किया गया है. तीन अभियुक्ताओं पर जुर्माना लगा है और एक अभियुक्ता की फाइल सेफ्रेट रखी है.

Tags: Muzaffarnagar news, UP news

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